Manisha Bharti

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jun-2022

गजल
इजाज़त नहीं थी मुझे मरने की 
मुझे शौक़ अब था नहीं जीने का

उसे प्यार की आग में जलना था 
यहाँ बर्फ़ सा भार है सीने का

किसे इल्म है साथ कैसे रहा
 उसे शौक़ ही था जुदा बहने का

जला था मेरा घर.. बचा कुछ नहीं
 किसे है पता हाल परवाने का

नज़र में कभी थी मोहब्बत 
मगर अभी वक्त है अश्क पीने का

किसे देख कर मैं सुधारा करूं
 पिघलने लगा अक्स आईने का

जिंदगी गुज़ारी परेशान सी कज़ा
 से मिला वक्त है सोने का

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7 Comments

Reyaan

09-Jun-2022 05:32 PM

बहुत खूब मैम

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Swati chourasia

09-Jun-2022 10:16 AM

बहुत खूब 👌

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Abhinav ji

09-Jun-2022 08:29 AM

Nice👍

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