लेखनी प्रतियोगिता -08-Jun-2022
गजल
इजाज़त नहीं थी मुझे मरने की
मुझे शौक़ अब था नहीं जीने का
उसे प्यार की आग में जलना था
यहाँ बर्फ़ सा भार है सीने का
किसे इल्म है साथ कैसे रहा
उसे शौक़ ही था जुदा बहने का
जला था मेरा घर.. बचा कुछ नहीं
किसे है पता हाल परवाने का
नज़र में कभी थी मोहब्बत
मगर अभी वक्त है अश्क पीने का
किसे देख कर मैं सुधारा करूं
पिघलने लगा अक्स आईने का
जिंदगी गुज़ारी परेशान सी कज़ा
से मिला वक्त है सोने का
Reyaan
09-Jun-2022 05:32 PM
बहुत खूब मैम
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Swati chourasia
09-Jun-2022 10:16 AM
बहुत खूब 👌
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Abhinav ji
09-Jun-2022 08:29 AM
Nice👍
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